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अनुभूति में ऋचा अग्रवाल की रचनाएँ-

छंद मुक्त में-
उम्मीद की रोशनी तुम
बातें
वो बारिश की बूँदें
शब्द
स्त्री

 

वो बारिश की बूँदें

बारिश की हल्की- हल्की सी बूँदें
पंछियों के चहचहाने की आवाज़ें
ठंडी हवाओं के झोंके
और आसमान में बिखरे इंद्रधनुषी रंग
दूर किसी कोने में गुमसुम सी बैठी
एक लड़की को देखकर ख्याल आया कि
क्या प्रकृति की ये मोहक छटा भी
किसी के होंठों पर
मुस्कुराहट लाने के लिए काफी नहीं है
नहीं, शायद हर बार नहीं
दिल से आवाज़ आई
ये भी तो हो सकता है कि
मौसम की ये अंगड़ाई
किसी अपने के
बदल जाने की याद दिलाती हो।

१ अप्रैल २०२१

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