अनुभूति में
ऋचा अग्रवाल की रचनाएँ-
छंद मुक्त में-
उम्मीद की रोशनी तुम
बातें
वो बारिश की बूँदें
शब्द
स्त्री |
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उम्मीद की रोशनी तुम
मेरी ज़िन्दगी के
हर उतार-चढ़ाव में
मेरे गिरने से पहले ही
तुम्हारा आगे बढ़कर
मेरा हाथ थामना
और फिर हर कदम पर
मेरे साथ चलने की वो कोशिश
उतना ही भरोसा और उम्मीद की रोशनी देती है
जितनी किसी पुरानी खंडर हुई
हवेली से गुजरते हुए
उसके अंधेरों को ओझल करती
एक लालटेन की लौ।
१ अप्रैल २०२१
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