अनुभूति में राजेंद्र "अविरल"
की
रचनाएँ -
गीतों में—
सृजन स्वप्न
हास्य-व्यंग्य—
नेता पुत्र की अभिलाषा
कविताओं में—
पिता
बाबा
बिटिया पतंग उड़ा रही है
मैं जनता हूँ
हे ईश्वर
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हे ईश्वर
हे ईश्वर. . .
वह शक्ति दो मुझे
सुधारूँ खुद को पहले,
फिर ही करूँ,
औरों को सुधारने की बात
मुझे ऐसी ही शक्ति दो, हे ईश्वर. . .
हे ईश्वर. . .
वह ज्ञान दो मुझे,
मिटा अज्ञान खुद का,
जलूँ दीपक-सा,
दिखाऊँ औरों को भी राह,
मुझे ऐसा ही ज्ञान दो, हे ईश्वर. . .
हे ईश्वर. . .
वह मौन दो मुझे
करके उपकार भी चुप रहूँ,
पर दे सकूँ, उपकारी को धन्यवाद,
मुझे ऐसा ही मौन दो, हे ईश्वर. . .
24 सितंबर 2007
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