तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
योजनाएँ हैं
आर्थिक सहयोग है
अनुदान है
फिर भी तुम भूखे हो!
तुम्हारे लिए
स्कूल है
कॉलेज है
विश्वविद्यालय है
फिर भी तुम अनपढ़ हो!
तुम्हारे लिए
दफ़्तर है
खेत है
फ़ैक्टरी है
फिर भी तुम बेकार हो!
तुम्हारे लिए बैंक
है
खज़ाना है
विश्व बैंक है
फिर भी तुम गरीब हो!
तुम्हारे लिए
चिकित्सक हैं
अस्पताल हैं
दवा है
फिर भी तुम बीमार हो!
तुम्हारे लिए
पत्नी है
संतान है
समाज है
फिर भी तुम अकेले हो!
तुम्हारे लिए
पुलिस है
सेना है
बल है
फिर भी तुम डरे हो!
तुम्हारे लिए
मीडिया है
अख़बार है
अदालत है
फिर भी तुम पीड़ित हो!
तुम्हारे लिए
प्रदेश है
देश है
कायनात है
फिर भी तुम अलग हो!
तुम्हारे लिए
उत्सव है
सम्मेलन है
मेले हैं
फिर भी तुम उदास हो!
तुम्हारे लिए धर्म
है
परंपरा है
रीति-रिवाज है
फिर भी तुम अशांत हो!
तुम्हारे लिए
पंचायत है
विधानसभा है
संसद है
फिर भी तुम बेसहारा हो!
सब कुछ मुहैया है
फिर भी तुम रोते हो
लगता है तुम्हीं में कुछ खोट है
तुम्हारी हमें फ़िक्र क्यों है?
भई, तुम्हारे हाथ में एक वोट है।
९ जून २००६
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