अनुभूति में पंखुरी
सिन्हा
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
अनहद
आगंतुक
आरोपित आवाजों की कहानी
एफ आई आर दायर करो
हमारी तकलीफों की रिपोर्ट |
|
अनहद
कुछ नहीं कहा गया अभी तो
अभी बहुत कुछ कहा जाएगा
कुछ सीमाएँ तुम भी तय करना
कि कहीं नहीं ख़त्म होती सरहदें इनकी
अंतहीन हैं
प्रवेश के अधिकार
मिलता है जो भी हथियार
थामे उसे हाथों में
बिना दस्तक है दाखिला
ज़िन्दगी के हर आयाम में
ये पेशेवर बोलने वाले हैं
इन्हें मिलते ही ज़रा सी छूट
खुले साँड सी दौड़ती है ज़बान इनकी
रंगों से, कपड़े की काट से
चलने की रफ़्तार से
गाडी की चाल से
आपसी बातों से
और सबसे ज्यादा अपने बच्चों का इस्तेमाल कर
कही उन्हें हँसा कर
कभी उन्हें रुला कर
कहते हैं ढेरों बातें ये
अकेली औरत से।
ये पेशेवर बोलने वाले हैं
हर बार जब कोई औरत अकेली होती है
ये ढेरों ढेर बोलते हैं।
कुछ बताना इन्हें सरहदें इनकी।
६ जुलाई २०१५ |