अनुभूति में पंखुरी
सिन्हा
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
अनहद
आगंतुक
आरोपित आवाजों की कहानी
एफ आई आर दायर करो
हमारी तकलीफों की रिपोर्ट |
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आगंतुक
मित्र नहीं हैं, आने वाले
न हितैषी
आगाह तो किया है तुम्हें
स्थिति से तुम्हारी
पर अब
और सबूत ज़रूरी नहीं
बहुत जघन्य हुआ सबूत का खेल यह
निर्मम, कुटिल
किसी आने वाले में
लड़ने का माद्दा नहीं
न जज्बा है
न साथ देने की असल मंशा
सहयोग के कोई भाव नहीं
कि बहुत गलत सी कोई बात है
मिलकर विरोध करें हम
टेलीविज़न पर बजते गीत से
सुर मिलाकर किसी की दस्तक है
श्रृंगार का सुर
श्रृंगारिक बातें
जबकि उसे खबर है
लगभग हर हालत की मेरी
शायद बैंक एकाउंट्स की भी
लम्बी सर्दियों, बर्फीली राहों की भी
मेरे कंप्यूटर हैकिंग की
खबर देने वाले
मेरी नज़रबंदी की खबर देने वालों में
कोई सहयोग नहीं
संधि है अधिकारियों से
जबकि उनके कर्मचारी नहीं
स्वतंत्र हैं
केवल नियंत्रण का खेल है
सत्ता की साझेदारी
हुकूमत सी है ज़बान इनकी
और है दुनियादारी
तराजू में तौली दुनियादारी
समाज के हर स्तर पर...
६ जुलाई २०१५ |