अनुभूति में
निशा कोठारी की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
कैद
प्रेम त्रिकोण
फतेह
मौन अभिव्यक्ति
त्रासदी
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फ़तेह
कुछ तो है
जो उमड़ रहा है भीतर
बरस जाने को
बेचैन
छटपटाता बाहर आने को
आभास है
प्रसव पीड़ा सा
जाने क्यों
यादों के तहखाने से
आवाज़ आ रही है
पुरानी डायरी
अपने
पन्ने फड़फड़ा रही है
कुछ बिसरे रिश्ते
लेने लगे हैं साँसें
कुछ भूली बातें
फिर गीत गा रही हैं
छिड़ गयी जंग
फिर
भावों और शब्दों में
अब तो
ये कलम ही
कोई फैसला सुनाएगी
मन की बर्फीली चोटी पर
फिर
कोई कविता
अपनी फ़तेह का
परचम फहराएगी।
१५ सितंबर २०१५
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