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अनुभूति में निर्मला गर्ग की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
चाँदनी चौक
जिंदगी का नमक
धन्यवाद से कुछ ज्यादा
पृथ्वी खोलती है पुराना अलबम
मैं छोटी बढ़ई

 

पृथ्वी खोलती है पुराना अलबम

जब कहीं कुछ नहीं होता
एक शांत नीली झील में सुस्ताती हैं
सारी हलचलें
वक़्त झिरता है धीमे झरने-सा

पृथ्वी खोलती है पुराना एल्बम

जगह-जगह आँसुओं के और ख़ून के धब्बे हैं उस पर
अनगिनत वारदातें घोड़ों की टापें
धूल और बवंडर के बीच
याद करती है पृथ्वी
वे तारीख़ें
साफ़ किया है जिन्होंने उसकी देह पर का कीचड़
धोया है मुँह बहते पसीने से

याद करेगी पृथ्वी अभी कई चीजें और
और कई चेहरे

१ अप्रैल २००२

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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