अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में निर्मला गर्ग की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
चाँदनी चौक
जिंदगी का नमक
धन्यवाद से कुछ ज्यादा
पृथ्वी खोलती है पुराना अलबम
मैं छोटी बढ़ई

 

धन्यवाद से कुछ ज्यादा

मैं किसी को याद करना चाहती हूँ
कहना चाहती हूँ धन्यवाद जैसा कुछ
आवाज़ वहाँ तक पहुँचेगी?

वह जगह है
पहाड़ के ऊपर एक छोटी-सी
राशन की दूकान
वहाँ से मुझे आटा उधार मिला था
और थोड़ी-सी दाल

आटे का गेहूँ सीला हुआ था
दाल में कंकड़ों के साथ इल्लियाँ थीं
फिर भी इन्होंने बचाएँ मेरे प्राण
बनाए रखा भरोसा इस दुनिया पर

मैं कहना चाहती हूँ
वह शब्द
जो धन्यवाद से कुछ ज़्यादा हो

१ अप्रैल २००२

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter