अनुभूति में
नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-
कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों
वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत |
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शून्य से अनंत-१
सृष्टि चलती
साँस लेती
धड़कती चेतना
भावनाएँ बहतीं
आलिंगन करती अनंत का
हो जाती संपूर्ण
परम चेतन, स्थिर
शून्य से उठती ध्वनि
रंग बदलती
सफर करती
शून्य से अनंत की
शून्य से
अनंत-२
हर रोज़
जीवन
जोड़-घटाव
और तक्सीम
बिना कोई हासिल
कुछ अंकों का जोड़-तोड़
शेष सिर्फ़
शून्य
शून्य- एक शुरुआत
एक अनंत।
१० मार्च २००८ |