अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-

कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत

  लौट आओ

लौट आओ प्रेम
लौट आओ तुम-

सूख रही थी धीरे-धीरे जो टहनी
अब तो
उस पर भी नाचने लगी है बहार
उदास रहने वाले चेहरे पर
फैलने लगी है मुस्कान
धीमे-धीमे

लौट आओ तुम-
कि मैंने व्यस्त क्षणों में से निकाल लिया है
माँ से बतियाने का समय
पिता जी को लिखी है चिट्ठी
और ढेर सारा प्यार भेजा है-
बहन के लिए

लौट आओ कि मैंने
अंदर के बजाए अब
खुले आसमान तले सोना शुरू कर दिया है।

10 मार्च २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter