अनुभूति में
नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-
कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों
वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत |
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लौट आओ
लौट आओ प्रेम
लौट आओ तुम-
सूख रही थी धीरे-धीरे जो टहनी
अब तो
उस पर भी नाचने लगी है बहार
उदास रहने वाले चेहरे पर
फैलने लगी है मुस्कान
धीमे-धीमे
लौट आओ तुम-
कि मैंने व्यस्त क्षणों में से निकाल लिया है
माँ से बतियाने का समय
पिता जी को लिखी है चिट्ठी
और ढेर सारा प्यार भेजा है-
बहन के लिए
लौट आओ कि मैंने
अंदर के बजाए अब
खुले आसमान तले सोना शुरू कर दिया है।
10
मार्च २००८ |