तुम हँसती
तुम हँसती-
फूल खिलते
उड़ान भरते हैं पंछी
सुगंधित हो जाती हवा
जब
तुम हँसती
खिड़की
आप जिस खिड़की से देख रहे हैं
ज़रूरी नहीं
वो सही ही हो।
देख जाने वाले
उस दृश्य के कई पक्ष
हो गए होंगे
ओझल आपकी आँख से।
प्रिय तुम...
तुम उदास मत होना
कैसी भी हों राहें, मुश्किलें
अपनी यह निर्दोष मुस्कान
मत खोना
पतझड़ भी तो एक पड़ाव है
किसी अजान
मंज़िल की ओऱ बढ़ती
हसीन बहार का...
लेकिन तुम धैर्य मत खोना
प्रिय, तुम उदास मत होना।
'हैलो' मंत्र
मन में
जब भी गुस्से की बिजली कौंधती
खून मे फैलता नफ़रत का ज़हर
फ़ोन पर
तुम्हारा एक ही शब्द-
'हैलो...'
मंत्र फूँकता
सब हलचलों को शांत कर देता
१० मार्च २००८ |