अनुभूति में
नव्यवेश नवराही की रचनाएँ-
कविताओं में-
चार छोटी कविताएँ
तीन नेत्रों
वाला
तुमने मेरे लिए..
पता नहीं
लौट आओ
वो बूढ़ी औरत
शून्य से अनंत |
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पता नहीं
जीवन के एक मोड़ पर
सपने देखे थे
बड़े-बड़े सपने
पूरा करने जिन्हें,
रास्ते पर भी चला था
पर भटक गया
पता नहीं
रास्ता, या मैं।
रास्ते में कुछ लोग मिले
साथ चलने-चलाने के वाद हुए
कुछ वादे वफ़ा होते-होते रह गए
कुछ बाकी हैं अभी,
पर चलते-चलते
उलझ गया
पता नहीं
रास्ता, या मैं...
१० मार्च २००८ |