शब्दों का
ताना-बाना
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत
बनाया है।
शब्दों के आकार को जाना,
मात्रा के व्यवहार को जाना।
जोड़-तोड़ की भाषा सीखी
गीतों के शृंगार को जाना।
गीत बनाकर सबसे पहले तुम्हें सुनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।
कहीं की माटी कहीं का रोडा,
कहीं से तोड़ा, कहीं पे जोड़ा।
कहीं से चूना लाकर हमने
कहीं का पत्थर कहीं पे जोड़ा।
कतरा-कतराकर सपनों का महल बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।
इस उपवन से फूल चुने हैं
उस बगीया से कलियाँ छाटी।
अपने कडवे अनुभवों से,
लेकर उनको खुशबू बाँटी।
हार बनाकर जीवन को गुलज़ार बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है।
आशाओं के चुनकर तिनके,
विश्वासों की बल्लियाँ।
स्नेह-प्यार का घास-फूस
कुछ अपनेपन की कलियाँ।
बाँध के सबको छोटा-सा संसार बनाया है,
शब्दों का ताना-बाना बुन एक गीत बनाया है। |