उसके लिए सड़क
उसके लिए सड़क
रास्ता भर होती है
मोड़
इस तरह मुड़ जाता है
जैसे मोड़ ही न हो
आदमी तो होते ही नहीं हैं
सड़क पर उसके लिए
न मकान, न दुकानें
लड़कियाँ भी नहीं
यह पक्का है वह उदास नहीं है
उसकी भाषा
सिगरेट के धुएँ में मिलकर
और तल्ख़ हो जाती है
वह समाज के मुँह पर
थूँकता है धुआँ
तुम्हें लगेगा वह प्रदूषण
फेंकता है।
१२ अप्रैल २०१० |