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अनुभूति में मुकेश जैन की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उसके लिए सड़क
छोटा बच्चा रोता है
देह को भान नहीं था
मुझे टीवी पर पता चला
हम हैं
 

  देह को भान नहीं था

देह को भान था नहीं
कि वह देह है

तुम आईं

फिर देह को भान हुआ
कि वह देह है

तुम्हारे उभार देख
देह में दौड़ने लगा
खून तेज़
और तेज़
और तेज़

इयत्ता तोड़ने
को बेताब रक्तदाव

साँस तेज चल रही थी
छूने को बढ़ रहा था
हाथ मेरा
तप्त था शरीर तेरा
या हाथ मेरा
आग-सी लग गई देह में

देह को भान हुआ
कि वह देह है।

१२ अप्रैल २०१०

 

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