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अनुभूति में मुकेश जैन की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उसके लिए सड़क
छोटा बच्चा रोता है
देह को भान नहीं था
मुझे टीवी पर पता चला
हम हैं
 

  मुझे टी वी पर पता चला

मुझे टी. वी. पर पता चला
कि मौसम बदल चुका है
इसकी दो-बातें दोस्तों से भी की हैं मैंने -
इससे अधिक कुछ नहीं

बागों में खिले फूल
मुझे आकर्षित नहीं करते
(मेरे पास वक्त नहीं है!)

मुझे आकर्षित करती हैं
सिटी बसों की नम्बर प्लेटें
बस स्टाप पर खड़ा मैं
घूरा करता हूँ
सिटी बसों की नम्बर प्लेटों को
क्योंकि
मुझे जाना होता है
एक ख़ास स्थान पर -
काम करने
ख़ास बसों को बदल कर,

मेरी आँखों में भय होता है

१२ अप्रैल २०१०

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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