अनुभूति में
मुकेश जैन की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
उसके लिए सड़क
छोटा बच्चा रोता है
देह को भान नहीं था
मुझे टीवी पर पता चला
हम हैं
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छोटा बच्चा रोता
है छोटा बच्चा रोता है
उसको भूख लगी है
घंटों चढ़ी पतीली
कब उतरेगी
चूल्हे की न-आगी भी
शान्त हो चुकी कब की
अम्मा, मुन्ने को क्यो भरमाती हो।
अम्मा कहती
आ जाने दो उसका बाबा
वह शायद कुछ गेहूँ लाए
सुबह जब वह निकला था
सट्टे पर बीड़ी देने
मैंने उसको जता दिया था
घर में नहीं है इक दाना गेहूँ,
वह आया नशे में धुत्त
गाली बकता
साली इत्ती-सी बीड़ी बनाती
मेरी पूरी भी दारू नहीं आती
पिटती अम्मा
अपना भाग्य कोसा करती
फिर, आधी रात तक
उसकी ऊँगलियाँ सूपे पर चलती रहतीं
बच्चा रोता
पानी पी कर सो जाता है।
१२ अप्रैल २०१० |