अनुभूति में
मेहरवान राठौर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
खंडहर
प्यार करने के लिए
बाज़ार और तुम
मन करता है
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मन करता है
मेरा बहुत मन करता है
एक कविता लिखने को
जिसमें लिखूँ
'लक्खू' के दिल की बात
जिसे वह नहीं ला पाया
अपनी ज़ुबाँ पर
आज तक
उकेरूँ उसमें
वे रेखाएँ
जो 'लक्खू' देखता है
बंद पलकों के साथ
लिखूँ वे अक्षर
जिन्हें 'लक्खू' मानता है
कई पोथियों के बराबर
लिख दूँ
लक्खू का हौसला
जिस लिए हर कोई
बुलाता उसे
खेत के काम निबटाने को
लिखना चाहता हूँ
कुछ शब्द
लक्खू के भविष्य के बारे में भी।
१ जून २००९ |