तुमने जब
आम दिए
तुमने जब आम दिए
तब केवल आम ही नहीं दिए
दे दिया अपना मासूम चेहरा
अपनी हँसी-मुस्कान
अपनी चंचलता की चाँदनी भी
तुमने जब आम दिए
तब केवल आम ही नहीं दिए
दे दी अपनी तरोताजगी
अपना हरापन
अपनी बड़ी-बड़ी आँखें भी
तुमने जब आम दिए
तब केवल आम ही नहीं दिए
दे दिया कुछ पूछते-पूछते
अचानक चुप रह जाने का ढंग
मन का उमंग
हाथों का स्पर्श-रंग
धीरे-धीरे बोलने की आदत
तुमने जब आम दिए
तब केवल आम ही नहीं दिए
दे दी अपनी महक
अपनी मिठास
अपना तरल अहसास भी
तुमने जब आम दिए
तब केवल आम ही नहीं दिए
मुझे।
१ जून २०२३
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