|
मर तो
उसी दिन गया था
मर तो उसी दिन गया था
जिस दिन देखा-
लाल गाढ़ा काला खून
देखा हत्यारा
रेखा रिवॉल्वर बंदूक, देखी तलवार
देखा शोषण के विरुद्ध उठते स्वर और उनकी हत्याएँ
देखा जनता का डर
उनकी तबाही
देखा चहुँदिशा उठते शोर
जिनका कोई भी अर्थ नहीं था इस देश में
या सत्ताधारी ताकतवर लोगों की नज़रों में
मर तो उसी दिन गया था
जिस दिन मैंने
उठा ली थी कलम-
कुछ सोच-समझकर।
१ जून २०२३
|