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इतना
इतना इतना
स्त्रियों और पुरूषों बच्चों के लिए
उनके खेतों के लिए
पेड़-पौधों के लिए
पंछियों के लिए, जानवरों के लिए भी
हाँ! माँगा था मैंने पानी
दिया बादलों ने भी फिर इतना कि-
बहे जा रहे घर, मकान, आँगन
खेत-खलिहान, पेड़-पौधे, घोंसले
कि जगह-जगह पानी
कि जगह-जगह लाशें
क्या वाकई !
माँग लिया था मैंने पानी इतना, इतना
कि- इतना इतना इतना
और इतना इतना!
बादलों!
जरा देखना तो बही-खाते में अपने
मेरी माँग तुम।
१ जून २०२३
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