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अनुभूति में खेमकरण सोमन की रचनाएँ

छंदमुक्त में—
इतना इतना इतना
कलम के कंधे पर इतिहास
तुमने जब आम दिए
मर तो उसी दिन गया था
सबसे पहले

 

इतना इतना इतना

स्त्रियों और पुरूषों बच्चों के लिए
उनके खेतों के लिए
पेड़-पौधों के लिए
पंछियों के लिए, जानवरों के लिए भी
हाँ! माँगा था मैंने पानी

दिया बादलों ने भी फिर इतना कि-
बहे जा रहे घर, मकान, आँगन
खेत-खलिहान, पेड़-पौधे, घोंसले
कि जगह-जगह पानी
कि जगह-जगह लाशें

क्या वाकई !
माँग लिया था मैंने पानी इतना, इतना
कि- इतना इतना इतना
और इतना इतना!

बादलों!
जरा देखना तो बही-खाते में अपने
मेरी माँग तुम।

१ जून २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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