अनुभूति में कविता गुप्ता की रचनाएँ—
नयी रचनाओं में-
आसमान छूता बालक
चिड़िया
बिजूका
महसूसता हूँ गर्व
यह कौन सा वृक्ष है
छंदमुक्त में-
पिघलने के बाद
यों ही नहीं रोती माँ
राख का ढेर
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यह कौन-सा वृक्ष
है ?
यह कौन सा वृक्ष है ?
जिसकी शाखाओं पर न जाने कैसे
चिपकी रह पाती हैं सूखी पीली पत्तियाँ
और फूटते ही, गिर पड़ती हैं नई-नई कोंपलें ?
यह कौन-सा वृक्ष है
जिसके काँटे सजते हैं डालों पर
और कोमल, गुलाबी सुगंधित पुष्प बिखर जाते हैं
यों ही
यह कौन-सा वृक्ष है
जिसकी टहनियों से नहीं गिरते
पकने के बाद भी फल
बल्कि, चिपके रहते हैं सड़ने के बाद भी
और नहीं मिलती जरा-सी भी जगह
नए फलों को फलने के लिए !
यह कौन-सा वृक्ष है
जिसकी जड़ें हो चुकी हैं विषाक्त
यह विष मिट्टी में फैले, उससे पहले
आओ काट डालें इसे
और रोप दें स्वस्थ नई पौध।
२३ दिसंबर २०१३ |