पुल
हवा में तैरते
डूबते
उतराते
शब्दों को सहेज कर
बडे ही जतन से
बनाया था एक पुल उसने
यह पुल
धरती के दो
बिछडे
बिदके
टूकडों को जोडने के लिये नहीं था
दो इंसानी आत्माओं के संगम के लिए
बनाया गया था यह
मगर शायद पुख्ता नहीं था
इसीलिए
दीन और ईमान के नाम का हवाला देकर
भयंकर कुठाराघात किया इसपर
और वह पुल
शब्द शब्द होकर
बिखर गए थे हवा में
२ जुलाई २०१२
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