द्रोणाचार्य से-
द्रोण,
तुम अर्जुन के पायदान,
हो सकते हो।
दुर्योधन का अभिमान,
हो सकते हो?
किसी को कृतघ्न कह सकते हो।
''मुझे कदापि नहीं।''
द्रोण -
परोक्ष ही सही-
तुम्हारा आशीष मैं -
सब कुछ कर सकता हूँ।
एक ''कृतघ्नता'' को छोड़कर।
गुरुवर,
मुझे देखो-कथित शिष्यों में जोड़कर-
देखना- मैं खरा उतरूँगा-
एक बार- माँग लो- अगूँठा/हाथ/कुछ भी-
भले आज़माने को।
एक - अदद - ''कृतघ्नता'' को छोड़।
24 अप्रैल 2007
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