चार क्षणिकाएँ
साँसे
टुकुर-टुकुर छत को ताकते बूढे के
लिए
भगवान से मुक्ति मांगती औलादें ..!
सब जानतें हैं मुक्ति मिलेगी
जन्म दाता से उस बेटे को जो
जो ख़ुद बूढे बाप की साँसें गिन रहा है ..!
पुरानी प्रेमिका नया परिचय
मिली पुरानी प्रेमिका
दो बच्चों के साथ
मामा का परिचय मिला,
हुआ सत्य का भास !
मुंह चलाइए नेताजी
,
मेरे मुहल्ले में गंदगी का राज़ है.
देखिए ये कचरा वो कूड़ा जहाँ कल था वहीं आज है.
भई..! मैं क्या कर सकता हूँ आप ही बताइए ...?
पीछे से आवाज़ आई :-"आप क्या कुछ करेंगे मुंह चलाने के अलावा
सो हुज़ूर केवल अपना मुंह चलाइए ..!! "
बदलाव पुरानी
चीजें सीने से न लगाए रहना
बदलाव सच है बाकी सब रांग है
कपड़े और महबूब दौनों ही जितने जल्द हों
बदलना देना आज के समय की मांग है.
16 दिसंबर 2007 |