अनुभूति में
चंद्र मोहन
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अंतहीन तारों के बने फंदे
खेतों की रात
जमीन पर जमीन की कविता
यह जाने का समय है
सूरज तुम्हारा जीना देख रहा है
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यह जाने का समय है
कार्बी आंगलांग का ऐसा
कोई पत्थर का पहाड़ बताओ
जो खरीदा न गया हो
ऐसा जंगल जो जमीन के लिए
बिल्डर के लिए
धीरे-धीरे कटता हुए
बड़ी गाड़ियों में न जा रहा हो
असम की
कोई कपिली जैसी सुंदर नदी बताओ
जो ट्रकों में भर-भर कर न जा रही हो
यह जाने का समय है
जो कुछ जस तस था बचा खुचा
सब जाने को तैयार है।
१ मई २०२३
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