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अनुभूति में चंद्र मोहन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अंतहीन तारों के बने फंदे 
खेतों की रात
जमीन पर जमीन की कविता
यह जाने का समय है
सूरज तुम्हारा जीना देख रहा है

 

अंतहीन तारों के बने फंदे 

अंतहीन तारों  जालों के बने 
फंदे 
पिंजड़े 
लगे हुए हैं 
गन्ने के बागानों में 
गोभी के खेतों में
चाय के खेतों में 
और इन सब खेतों के बीच
हम किसानों की हाड़ तोड़ खटती देह 
और हम खेत मजदूरों की भूख
और कामगार महिला की गर्दन
और दूर खेत में गोबर फेंकने जाती निशा बहन 
अंतहीन तारों के बने 
पिंजड़े में फंदे में 
फँस फँस जाती हैं 
पंडुक की तरह खरगोश की तरह
बटेर की तरह मूस की तरह बिल्ली की तरह
बकरी की तरह
और अनेक मासूम पशु पक्षी जानवरों की तरह।

खेतों में इतनी सुंदरता है 
इतना सुंदर है जीवन खेतों में काम करते हुए 
फिर भी हम फँस गए हैं असुंदर फंदे में बुरी तरह।

१ मई २०२३

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