अनुभूति में
अजित कुमार की
रचनाएँ- कविताओं में-
ऊसर
कविता जी
नीम बेहोशी में
शहर के बीच
सभी
समुद्र का जबड़ा
संकलन में-
धूप
के पाँव- उमस में
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सभी
मुँह पे झुर्री
हाथ पे झुर्री
पैर में फटी बिवाई
पीर कमर में
नीर नज़र में
कुछ ना पड़े दिखाई
केवल गलियारे से जाते
हँसते, गाते और बतियाते
एक बहन, एक भाई
पीछे-पीछे उनकी ताई
कहाँ की झुर्री
कहाँ बिवाई!
अरे, सब ही तो
पड़े दिखाई. . .
बहन, भाई
बापू और माई।
9 सितंबर 2007 |