अजित कुमार
अजित कुमार खुले खुले उन्मुक्त
भावों विचारों के कवि हैं। उनके कवि कर्म के कई रंग हैं। एक रंग
उन्हें अज्ञेय के मितकथन की ओर ले जाता है तो दूसरा भवानी प्रसाद
मिश्र के रचना कर्म की सरलता और सहजता की ओर। उन्होंने अपने कवि
कर्म को मौलिक भाव-पूँजी से सँवारा है। देश विदेश के नवीनतम
आंदोलनों और कवियों से उनका गहरा लगाव रहा है। जो उन्हें स्वाधीन
दृष्टि तो देता ही है उनकी रचनाओं में मौलिकता का संचार भी करता
है। |
|
अनुभूति में
अजित कुमार की
रचनाएँ- कविताओं में-
ऊसर
कविता जी
नीम बेहोशी में
शहर के बीच
सभी
समुद्र का जबड़ा
संकलन में-
धूप
के पाँव- उमस में
|