अनुभूति में
अजामिल
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
अबोला
क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती
चुगली करता है चेहरा
रिश्ते
शब्द शब्द सच
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शब्द–शब्द सच
शब्द सन्यास नहीं लेते
शब्द समय प्रवाह के प्रतिनिधि होते हैं
शब्द सच होते हैं, झूठ के खिलाफ
शब्द बचा लो तो बहुत कुछ बच जाता है
काली किताबों में
जब साथ छोड़ रही होती हैं चीजें
देह केंचुल बदलने को बेताब होती है
ख़ामोशी की चादर ओढ़े
लोग इशारों-इशारों में
अनुपस्थित का उपस्थित-दर्शन
खँगाल रहे होते हैं, एक दूसरे के डरे-सहमे
चेहरे को देखते हुए
शब्द तब भी साँस लेते हैं हमारे बीच
यकीन करो, जब कुछ भी शेष नहीं होगा
शब्द होगें, हमारी स्मृतियों की अपार
संपदा को सहेजे हुए
शब्द कभी नहीं मरते, शब्द सतत जीवन का अर्थपूर्ण संगीत हैं
शब्द हवा हैं, शब्द दवा हैं
शब्द शक्ति हैं, शब्द प्रेम हैं, शब्द भक्ति हैं
कोई भी अविष्कार शब्द से बड़ा नहीं
शब्द हाशिए पर हैं इन दिनों
और मैं सबसे ज्यादा परेशान हूँ
शब्दों को मुकम्मल करने के लिए...
बार-बार हाशिए पर फेंक दिया जाना ही तो
सुबूत है शब्दों के जिन्दा होने का
४ मई २०१५
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