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अनुभूति में अजामिल की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
अबोला
क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती
चुगली करता है चेहरा
रिश्ते
शब्द शब्द सच

 

रिश्ते

इस सच के साथ कि
रिश्ते परिंदों की तरह होते हैं
उड़ान भरते हैं भरोसे के
खुले आकाश में

सुकोमल तितलियों की तरह
प्रेम पराग के दीवाने रिश्ते
मंडराते हैं एक फूल से दूसरे फूल के
आलिंगन के लिए

जल की तरह मर्मस्पर्शी
आकार खोजते, आयतन हैं रिश्ते

हवा की तरह पारदर्शी होते हैं रिश्ते
हथेलियों की गर्माहट में
अंकुरित होते है रिश्ते
पल भर में कहा-अनकहा
कह देता है जैसे कोई
आँखों से आँखों में उतर जाते हैं
बस देखते-देखते।

रिश्ते उँगली पकड़ लेते हैं
तो सुरक्षित हो जाते हैं
बच्चों की तरह

प्यार से सींचे जाने पर
बीज़ से वृक्ष बन जाते हैं रिश्ते,
कब? ये पता ही नहीं चलता

रिश्ते चूजों की तरह हैं
इन्हें हौले से पकड़ना
न छोड़ना, न दबाना
चाकू की धार से तो बहुत दूर रखना
रिश्तों को

कोई कितना भी करीब क्यों न हो
ब्रीदिंग स्पेस चाहिए हर रिश्ते को
अकाल मौत से बचाने के लिए।

४ मई २०१५

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