अनुभूति में
अजामिल
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
अबोला
क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती
चुगली करता है चेहरा
रिश्ते
शब्द शब्द सच
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अबोला
तुम चुप थी
मैं चुप था
इस अबोले में सबसे ज्यादा
बोल रहे थे हम
सन्नाटा चीख रहा था हमारे भीतर
इस अबोले ने जैसे छीन लिया था
हमारा सुख-चैन
हम प्रतीक्षा कर रहे थे
अपनी देह में
कहे-अनकहे के मर जाने की
अबोला टूटने पर ही तो
वापस लौटता है जीवन...
इंटरनेटिय प्रेम डाट काम
वे फेसबुक पर मिले थे
कुछ दिन हाय-हलो के बाद चैटरूम में
प्रेमिल-प्रेमिल हुए
उन्होंने एक दूसरे को जल्दी ही यह बात
समझा दी क़ि सम्भोग से ही समाधि तक पहुँचा जा सकता है
उन्होंने संबंधों की बात की
लेकिन शादी को पचड़ा ही मानते रहे प्रेमीजन
वाट्सएप पर वे खुले इतने खुले इतने खुले इतने खुले
क़ि एक दिन उन्हें एक-दूसरे से
डर लगने लगा, एक ऊब उनके बीच जगह
बनाने लगी
उन्हें लगा कि कोई उनके निजी जीवन में
ताक़-झाँक कर रहा है
उन्होंने एक दिन बिना माफ़ी माँगे एक-दूसरे को
अन्फ्रेंड कर दिया
अब दोनों बेहद खुश थे और शांत भी
इंटरनेट पर प्रेम का जीवन छोटा है
सर्वर डाउन होते ही प्रेम मर जाता है
ज़रूरी हो जाती है
एक और फ्रेंड रिक्युस्ट...
४ मई २०१५
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