वेदना जब से सयानी
हो गई वेदना जबसे सयानी
हो गई
नींद आँखों से अजानी हो गई
आँख सपनों की रियासत थी कभी
आँसुओं की राजधानी हो गई
भूलना चाहा, मगर भूले नहीं
एक घटना, तब कहानी हो गई
दर्द लिखने की जगह बाकी कहाँ
हाशियों की मेहरबानी हो गई
हसरतें दिल में रहें, कैसे रहें
यह इमारत अब पुरानी हो गई!
३ अगस्त २००९ |