अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में उर्मिला माधव की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अपनी ख़ुद्दारी के दम पर
जब याद तुम्हारी आती है
डूबते सूरज
लफ़्ज़ लिखे और टाँग दिए
हे सदाशिव

 

लफ्ज लिखे और टाँग दिये

लफ़्ज़ लिखे और टाँग दिए दीवारों में।
अपनी गिनती रखी नहीं फनकारों में।

ख़ुद पढ़ते हैं ख़ुद ही खुश हो जाते हैं।
नाम हमारा छपा नहीं अख़बारों में।

हमने अपने दर्द सुनाये क़ातिल को
रुसवा उसने किया खुले बाज़ारों में।

घर को फूँका और तमाशा देख लिया
कितना ऊँचा नाम हुआ दिलदारों में।

दिए जला कर रखा किये दीवारों पर
रस्ता चलते रहे मगर अँधियारों में।

इतने दानिशमंद कहाँ दुनिया वाले
वफ़ा ढूँढने निकले हम गद्दारों में।  

१५ सितंबर २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter