अनुभूति में
उर्मिला माधव
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अपनी ख़ुद्दारी के दम पर
जब याद तुम्हारी आती है
डूबते सूरज
लफ़्ज़ लिखे और टाँग दिए
हे सदाशिव |
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जब याद तुम्हारी
आती है
जब याद तुम्हारी आती है तो घर सावन
हो जाता है।
स्वर मुखर तुम्हारा होते ही मन वृन्दावन हो जाता है।
क्या हृदय वेदना बतलाऊँ, अनुपस्थित रहना ठीक नहीं
जब मेरे सम्मुख नहीं हो तुम, इक सूनापन हो जाता है।
तुमसे ही दीप्ति हृदय की है, तुम मेरे जीवन धन केवल
आभास तुम्हारा होते ही, घर, घर-आँगन हो जाता है।
छवि मधुर तुम्हारी इतनी है, क्या जानूँ कितनी है सीमा
जब प्रेम सहित वंदन करलूँ यह घर पावन हो जाता है।
बस गली-गली मैं घूम सकूँ, मुख चन्द्र तुम्हारा चूम सकूँ
यह हृदय कल्पना करले तो, सब मन भावन हो जाता है।
१५ सितंबर २०१५
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