अनुभूति में सुरेश
कुमार उत्साही की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है
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नहीं ज्ञान बाँटो
नहीं ज्ञान
बाँटो कि बेसार है
बना अब यही आज व्यापार है
जियें हम सभी तो भलाई करें
तभी जिंदगी आज साकार है
चले सोचकर कर सकें कुछ भला
पड़ी गंदगी अब धुआँधार है
उपेक्षित नहीं देव संस्कृति रहे
जहाँ तो यही यार परिवार है
यहाँ स्नेह निर्झर बहाते रहें
इसी में बसा आप का प्यार है
मिटा दें घृणा द्वेष की आग को
मनुज में बसे फिर सदाचार है
समयदान क्या प्राण भी दान दें
हमारा यही नाथ संसार है
१५ मार्च २०१७ |