अनुभूति में सुरेश
कुमार उत्साही की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है
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इतना चिंतन किया
धरा पर इतना चिंतन किया
धरा पर, सच में तुमसे प्यार हुआ है
तजकर अपना रूप तुम्हारा, अब पावन आकार हुआ है
एक-एक मिल दो होते हैं, जान रहे इतिहास पुराना
एक-एक जब एक हुए तो, गणित नियम साकार हुआ है
बैर भाव को त्याग सखे दो, भरत-मिलाप दिखा देते वो
हम तुम मिलकर एक रहें अब, वही प्रेम व्यापार हुआ है
जब तक दूर रहे हम तुम से, दैत्य भाव ने हमको घेरा
मन मंदिर में तिमिर बसा जो, स्नेह तभी दुश्वार हुआ है
ज्योति तुम्हारी पड़ी दिखाई, भाव अजब मन में आया
निराकार था अब तक जो भी, नयनों में साकार हुआ है
भव-बंधन ने मुझको बाँधा, माया ने प्रतिपल भरमाया
मोह भरा इस जग नगरी में, सदा नया अवतार हुआ है
आज स्वयं को जान न पाया, संस्कृति को अब जानूँ कैसे
अपने को पहचान सका जब, तब मन पर अधिकार हुआ है
१ फरवरी
२०१८ |