अनुभूति में
सुरेश
कुमार उत्साही की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है
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बुढ़ापा आ गया
बुढापा आ गया अब तो, जवानी क्यों नहीं आयी
सदा गतिरोध ही आया, रवानी क्यों नहीं आयी
सुबह की रोशनी पीकर, किरण की जिंदगी जीकर
मनुज के गाँव में मधुऋतु, सुहानी क्यों नहीं आयी
बने जो रेत पर घर थे, गिरे हैं ज्वार के कारण
पिलाने घूँट अमृत का, सयानी क्यों नहीं आयी
समूचा स्वर्ग आ पहुँचा, पधारे हैं यहाँ प्यारे
जले हैं दीप मन्दिर में, भवानी क्यों नहीं आयी
निशा को छोड़ करके हम, निकल बाहर सभी आये
कभी उर दीप की बाती, जलानी क्यों नहीं आयी
सुधा की धार में बहकर, लहर के प्यार को सहकर
घटा पर बीज की टहनी, उगानी क्यों नहीं आयी
नदी जलनिधि बनी चलकर, किरण हँसने लगी जलकर
खड़े थे पास मेरे सब, दिवानी क्यों नहीं आयी
१५ मार्च २०१७ |