अनुभूति में सुरेश
कुमार उत्साही की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अगर ख्वाब का प्यार
इतना चिंतन किया धरा पर
नहीं ज्ञान बाँटो
पड़ी है बीच में नैया
बुढापा आ गया अब तो
मिला जो दर्द मुझको है
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मिला जो दर्द मुझको है
मिला जो दर्द
हमको है, जताया भी नहीं हमने
दिखे जो ख्वाब रातों में, सुनाया भी नहीं हमने
लगा ऐसा हमें जग में, रखे सब साफ दामन हैं
लुटेरे लाख देखे हैं, सताया भी नहीं हमने
हजारों बार दुनिया ने, ढहाये हैं सितम हमपर
कभी आवाज देकर तो, बुलाया भी नहीं हमने
खड़े जिस मोड़ पर हम थे, गए सब भूल हैं हमको
जहां में आज सर अपना झुकाया भी नहीं हमने
हुए जो प्यार में रुसवा, किया स्वीकार है उसको
वफ़ा की यार रस्मों को भुलाया भी नहीं हमने
बनी वह बेवफा मेरी, नहीं करते शिकायत हम
खिले बेशक किसी का गुल, उजाड़ा भी नहीं हमने
दिखे हैं चाँद में धब्बे, किया बदनाम जग ने है
जहाँ में नाम तो अपना गिराया भी नहीं हमने
१५ मार्च २०१७ |