अनुभूति में
डॉ. सुश्री शरद सिंह की रचनाएँ-
गीतों में-
आखिर क्यों
कहना और क्या है
जाड़े की है धूप उदासी
तिनकों के
ढेर में
रेत देती है
गवाही
अंजुमन में-
एक लड़की चार गजलें
संकलन में-
अमलतास-
अमलसात खिलने दो
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कहना और क्या है
खुद बोलते
स्पर्श जब संवाद
कहना और क्या है
जाति कुल से
भावना वैदिक हुई
यज्ञ समिधा भी अगर दैहिक हुई
फिल भला कैसी दुआ फरियाद
कहना और क्या है
ज्वार भाटा
श्वास में उतरा हुआ
चंद्रमा ने जल सतह ज्यों ही छुआ
हो गए बंधन स्वयं आजाद
कहना और क्या है
गुनगुनाते
फूल की दो पंखुरी
कह गई बातें बड़ी ही मदभरी
प्यार है कोई नहीं अपवाद
कहना और क्या है
१३ फरवरी २०१२
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