कुछ सपने आँखों में पलने दो
पोर-पोर अमलतास खिलने दो।
यादों की गंध में
प्रीत के प्रबंध में
अधरों की लाली से
नए शब्द मिलने दो
पोर-पोर अमलतास खिलने दो।
अँधियारी रातों की
उजियारी बातों की
कथा नए गीतों में
बूँद-बूँद ढलने दो
पोर-पोर अमलतास खिलने दो।
अभिलाषा हँसती है
बाहों में कसती है
छलिया मन छले अगर
जी भर कर छलने दो
पोर-पोर अमलतास खिलने दो।
डॉ. सुश्री शरद सिंह
16 जून 2007
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