अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सर्वेश कुमार 'सर्वेश' चन्दौसवी की रचनाएँ-

अगर भूले से
कमरे में सजा के रक्खा है
ग़म के पैहम
ज़ख़्म बदन पर
वो जब कोई भँवर पैदा करेगा

 

 

  कमरे में सजा रक्खा है

कमरे में सजा रक्खा है बेजान परिन्दा।
ये देख रहा खिड़की से हैरान परिन्दा।।

उड़ जाए तो फिर हाथ नहीं आए किसी के।
होता है कुछ इस तरह का ईमान परिन्दा।।

जिस लम्हा उदासी में घिरा होगा मेरा दिल।
आँगन में उतर आएगा मेहमान परिन्दा।।

साथी से बिछड़ने का उसे ग़म है यकीनन।
उड़ता जो फिरे तन्हा परेशान परिन्दा।।

कब कौन बला अपने शिकंजे में जकड़ ले?
रहता नहीं इस राज से अन्जान परिन्दा।।

तर देख रहा बाजू-ओ-पर अपने लहू में।
समझा था क़फस तोड़ना आसान परिन्दा।।

ले आएगा क्या जाके मेरे यार की चिट्ठी।
कर पाएगा क्या मुझ पे' ये अहसान परिन्दा।।

इस शाख से उस शाख पे' हसरत में समर की।
क्यों बैठा के होता है पशेमान परिन्दा।।

हम तक भी चली आएँगी खिड़की से हवाएँ।
'सर्वेश' करे पैदा तो इम्कान परिन्दा।।

२२ दिसंबर २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter