अनुभूति में
मेजर संजय
चतुर्वेदी-अंजू चतुर्वेदी की रचनाएँ-
अंजुमन में-
आइना
जब से मैं
दादा-दादी
दिल जला फसलें जलीं
मेले में
सड़क
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जब से मैं
जब से मै छपने लगा
अख़बार में
बढ़ गयी क़ीमत मेरी बाज़ार में
अस्ल रिश्तों का खुल़ासा कल हुआ
जब उन्हे परखा गया मँझधार में
बन्द कर आँखें मैं तेरे पास हूँ
ढूँढता है क्यूँ मुझे अश्जार में
कौन दरवाज़े पे आ कर रूक गया
सुगबुगाहट बढ़ गयी है बार में
जुर्म उनका कल सुबह साबित हुआ
शाम वो शामिल हुए सरकार में
रौशनाई उठ क़लम का साथ दे
दीमकें लगने लगी तलवार में
२३ मार्च २००९
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