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अनुभूति में मेजर संजय चतुर्वेदी-अंजू चतुर्वेदी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आइना
जब से मैं
दादा-दादी
दिल जला फसलें जलीं
मेले में
सड़क
 

 

दिल जला

दिल जला फसलें जलीं छप्पर जला
सिर्फ चूल्हा छोड़ सारा घर जला

फूल तो बस मुस्कुरा कर खिल गया
धूप में जब भी जला पत्थर जला

काँपता था ठंढ में नंगे बदन
संग उसकी लाश के चद्दर जला

आग तो हर घर में होती है मियाँ
क्या कभी उस आग में शौहर जला

ख़ून की गर्मी बचाने के लिये
आग स्याही में लगा अक्षर जला

२३ मार्च २००९

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