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अनुभूति में राकेश मधुर की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
कहाँ ठहरा हुआ
गौर दिल पे
ठीक कोई अनुमान नहीं
न ताकत से न रुतबे से
सबके दिल में

अंजुमन में-
कड़ी धूप में भी
कश्ती में पानी
जैसा तु समझे
वो कहाँ खुद भी देख पाता है

 

कहाँ ठहरा हुआ

कहाँ ठहरा हुआ हूँ
मैं इक दरिया हुआ हूँ

जुदा कैसे करेगा
तेरा हिस्सा हुआ हूँ

न तू अफ़वाह पर जा
तेरा बरता हुआ हूँ

किसी की चीख सुन ली
मैं अब सहमा हुआ हूँ

न ऐसे दिल्लगी कर
बहुत टूटा हुआ हूँ

ज़रा सा सच कहा था
बड़ा तनहा हुआ हूँ

१६ फरवरी २०१५

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