अनुभूति में
राकेश मधुर की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कहाँ ठहरा हुआ
गौर दिल पे
ठीक कोई अनुमान नहीं
न ताकत से न रुतबे से
सबके दिल में
अंजुमन में-
कड़ी धूप में भी
कश्ती में पानी
जैसा तु समझे
वो कहाँ खुद भी देख पाता है |
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जैसा तू समझे
जैसा तू समझे हो वैसा ये ज़रूरी
तो नहीं
तू है जिसका वो हो तेरा ये ज़रूरी तो नहीं
तू उसे भूला नहीं है अब तलक ए दिल मगर
वो तुझे पहचान लेगा ये ज़रूरी तो नहीं
जाल सा फैला हुआ है हाथ में रेखाओं का
इनमें हो उसकी भी रेखा ये ज़रूरी तो नहीं
वो ग़ज़ब का खूबसूरत है बड़ा मासूम भी
दिल हो उसका मोम जैसा ये ज़रूरी तो नहीं
वो मधुर व्यापार हो या हो दवाई दर्द की
फ़ायदा हर बार होगा ये ज़रूरी तो नहीं
२२ सितंबर २०१४ |