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अनुभूति में राजेन्द्र तिवारी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कोई दौलत न शोहरत
दर्द के हरसिंगार
दे कोई कैद या रिहाई
सिर्फ बीनाई नहीं

 

सिर्फ बीनाई नहीं

सिर्फ बीनाई नहीं आँखों में पानी चाहिए
झील दरिया हो तो सकती है रवानी चाहिए।

थरथराते होठों के लफ़्ज़ों को मानी चाहिए
एक मिसरा है अकेला एक सानी चाहिए।

जिसको दुनिया याद रक्खे वो कहानी चाहिए
ज़िंदगी में ’ज़िंदगी‘ की तर्जुमानी चाहिए।

बादशा बेचैन है दुनिया पे कब्जे़ के लिए
हम फ़कीरों को दिलों पर हुक्मरानी चाहिए।

रात में सूरज उगे दिन लेके घूमे चाँद को
लोग क्या क्या सोचते हैं शर्म आनी चाहिए।

कोशिशें तो कोशिशें हैं कामयाबी के लिए
कोशिशों के साथ उसकी मेहरबानी चाहिए।

कर लिया इक़रार दिलने कह दिया आँखों ने हाँ
हमको लेकिन फ़ैसला तुमसे ज़बानी चाहिए।

७ जनवरी २०१३

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