अनुभूति में
राजेन्द्र
तिवारी
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
कोई दौलत न शोहरत
दर्द के हरसिंगार
दे कोई कैद या रिहाई
सिर्फ बीनाई नहीं |
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कोई दौलत न शोहरत
कोई दौलत न शोहरत चाहता है
मेरा दिल बस मुहब्बत चाहता है।
ये लब इज़हार करना चाहते हैं
प' दिल तेरी इज़ाजत चाहता हैं।
तेरी तस्वीर हो जाये मुकम्मल
मुसव्विर इतनी मोहलत चाहता है।
ये दीगर बात है देता नहीं है
हरइक इंसान इज़्ज़त चाहता है।
इबादत के लिए फुरसत नहीं है
खुदा की सिर्फ़ रहमत चाहता है।
गुनाहों से नहीं करता है तौबा
सज़ाओं में रियायत चाहता है।
मज़ा लेता तो है दुनिया का लेकिन
जिसे देखो वो जन्नत चाहता है।
ज़बां पर है बहुत इंकार उसके
वो दिल से दर हक़ीक़त चाहता है।
बुलायें किस तरह घर शायरों को
भला कोई मुसीबत चाहता है।
७ जनवरी २०१३ |