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अनुभूति में राज सक्सेना की रचनाएँ—

अंजुमन में—
एक डर अन्जान सा
नहीं करता जो दुश्मन भी
बाबू जी
हे प्रियतम तुमने वसंत में

हैरान कर देंगे

 

हैरान कर देंगे

कोई जीते कोई हारे, ये सब हैरान कर देंगे
मतों के दान के बदले, क़हर प्रतिदान कर देंगे

जो हारेंगे वे भरपाई, करेंगे लूट जनता को,
जो जीतेंगे वसूली का, खुला मैदान कर देंगे

करेंगे क्षेत्र को विकसित, ये कहते हैं हमेशा सब,
जहाँ मौका मिला, परिवार का उत्थान कर देंगे

कहा तो है करेंगे, देश उन्नत हम सदा पहले,
प्रथम घरद्वार छैः मंजिल यही 'श्रीमान' कर देंगे

किया वादा गरीबी को, मिटाने का मिटा देंगे,
घटा कर दर गरीबी की, सभी धनवान कर देंगे

दिखाने को मचाते शोर कितना रोज़ संसद में,
मचाने लूट ये मिलकर, नया कुछ प्लान कर देंगे

ये गाते भोर में गाने, बहुत से देशभक्ति के,
फँसे जो गाँठ का पूरा, तुरत हलकान कर देंगे

कहाँ अपनी कहाँ सबकी ये इज़्ज़त मानते कब हैं,
लगे मौका तो भारत की ये गिरवी शान कर देंगे

कमाने के लिये रूपया, न छोड़ें ये कसर बाकी,
मिले मौका अगर, नीलाम हिदुस्तान कर देंगे

कहाँ तक 'राज' गिनवाएँ, गुणों की खान हैं नेता,
ये अपनी जीत की खातिर, शहर वीरान कर देंगे 

२७ जनवरी २०१४

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